अब देखो न समय कैसे पंख लगा के उड़ता है की हम उसे कितना भी रोकना चाहें तो भी नहीं रोक पाते ! आज हमारे देश मै गणतंत्र के 61 वर्ष पुरे होने जा रहेँ हैं तो हमारे मन मै ये सवाल आना लाज़मी है की इतने समय मै हमने क्या खोया और क्या पाया ? अब देखो हमारे देश मै 1950 मै आर्थिक विकास दर 1 . 9 % थी ! अब 8 . 5 से 9 % के बीच मै है ! उस समय साक्षरता की दर 18 % थी और अब हमारे देश मै इसकी दर 68 % है ! उस वक़्त देश मै 48 % गरीब लोग माने जाते थे ! आज इसकी संख्या 37 . 2 % रह गई है ! इस संख्या मै बहुत बड़ा इजाफा तो नहीं हुआ पर तब से अब तक के अनुमान से इसकी हालत सुधरी जरुर है ! इस वक़्त हमारे देश मै 602 लोग अरबपतियों मै शुमार किये जाते हैं ! तो इससे साफ़ जाहिर होता है पैसा तो है पर उसका अनुपात गडबडा सा गया है अगर इसका सही से अनुपात बनाया जाये तो हमारे देश की गरीबी पूरी तरह से समाप्त होने की सम्भावना है ! अब देखो न अमेरिका जेसा शक्तिशाली देश ये घोषणा कर रहा है की आने वाला दशक भारत और चीन का होगा तो इससे साफ़ जाहिर है की हमारे देश ने प्रगति की बहुत ऊँची उचाईयों को छुआ है और बहुत खूबसूरती से और आगे कदम बड़ा रहा है ! अब साफ़ सी बात यह है की जहां कामयाबियां होंगी तो नकामियाबियों का भी सामना हमें ही करना पड़ेगा जेसे सुख है तो दुःख न हो एसे कैसे संभव हो सकता है !
भारत एक कृषि प्रधान देश है और पिछले पांच हजार वर्षों से हम इस व्यवस्था का निर्वाह कर रहें हैं ! पर इसमें अलग - अलग तरह से प्रयोग किये जा रहेँ हैं की अब इसे बदलना चाहिए इसमें परिवर्तन होना चाहिए ! पर परिवर्तन क्या हो ? इस पर गहरे मतभेद चल रहें हैं और उधर किसान अपने ही ज़मी पर जो उसके कमाई का जरिया है उसी मै दम तोड़ते नज़र आ रहें हैं ! उन्हें फसल की उचित कीमत नहीं मिल रही ! तो इससे साफ़ जाहिर होता है की जमीं मै बीज बोने से लेकर अनाज की थाली तक पहुंचने तक की यात्रा के बीच कई पेच हैं जो बहुजनों को फायदा नहीं पहुंचा पा रहें ! इसलिय मिट्टी के लाल मिट्टी मै ही दम तोड़ रहें हैं और लोगों को मंहगाई का सामना करना पड़ रहा है !
एक तरफ आम आदमी मंहगाई से जूझ रहा है तो दूसरी तरफ 203 खरब पैसा विदेशी बेंकों मै पड़ा हुआ है ये वही धन है जो देश के लोगो से छिन कर चोरी छिपे वहां जमा किया हुआ है ! इस पर कर्यवाही की बात खूब जोर शोर से होती है पर इसमें कार्यवाही करने की सरकार इज़ाज़त तक नहीं देती वजह साफ़ है की भ्रष्टाचार से गंगा को सबने मेला किया हुआ है ! बहुत अफ़सोस की बात है की पिछले कुछ दशकों से हमारे देश मै भ्रष्टाचार काफी हद तक बड़ा है ! इसमें कोई शक नहीं की हमारा देश एक विकासशील और जागृत देश है और यहाँ के लोगों मै सहनशीलता कूट कूट कर भरी हुई इसलिए आने वाली किसी भी विपत्ति का सामना बड़े धेर्य और हिम्मत से करती है ! अगर हमारे देश मै भ्रष्टाचारी हैं तो ईमानदार लोगो की भी कोई कमी नहीं जो सीना ठोक कर अपनी बात कहने का दम रखते हैं ! गाजियाबाद की सी , बी आई अदालत ने एक फैसला सुनाकर लोगों के अन्दर एक उम्मीद जगाई है की पी , ऍफ़ भ्रष्टाचार कांड के आरोपी जजों को अदालाल मै हाजिर होना ही होगा ! अब से दस साल पहले सिविल सेवाओं मै अभिजात्य वर्ग का बोलबाला हुआ करता था ! पिछले साल 875 उम्मीदवारों मै से 273 ओबीसी 127 अनुसूचित जाति और 76 अनुसूचित जनजाति के थे ! आईएस बनने वालों मै भी कोई रिक्शा चालक का बेटा था तो कोई ड्राइवर का बेटा ! कोई दियाड़ी मजदुर के घर पैदा हुआ था किसी ने छोटे - मोटे काम करके अपनी मेहनत से ये मुकाम हासिल किया था ! अगर हमारे देश का हर नागरिक इसी तरह की मेहनत से आगे बड़ता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब हमारे देश का हर नागरिक अपने सपनों को हासिल कर लेगा और हमारे देश मै उज्वल भविष्य की स्थापना कर इसे बुलंदियों मै पहुंचाएगा ! आज देश के 61 वर्ष पूरा होने पर हम देश को सुचारू रूप से आगे ले जाने की शपथ तो खा ही सकते हैं और आने वाले हर गणतंत्र दिवस को हम जोश और उल्लास से मनाते जाये ! इसी आशा के साथ मै शुभकामनाओं के साथ कलम को विराम देना चाहूंगी !
कोई व्यक्ति अगर किसी सिद्धांत के लिए
अपनी जान देता है , तो यह बलिदान उस
सिद्धांत के जीवन को हजार गुना बड़ा देती है !
जय हिंद !
12 टिप्पणियां:
आपने सही कहा कि समय पंख लगा कर उड़ता है।इसे रोकना बड़ा ही मुश्किल कार्य है।आपके पोस्ट पर पहली बार आया हूं।नव वर्ष की हार्दिक शुबकामनाएं।मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।
आप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.
सादर
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गणतंत्र को नमन करें
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामना
सिद्धांत के लिए बलिदान देने के बजाय उसे जी-जान से लागू करने-कराने का प्रयास बेहतर होगा.
आप सबके प्यार और प्रोत्साहन की वजह से ही मै ये सब लिख पाती हु !
अपना कीमती समय देने के लिए आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया !
गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई !
फिर भी आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें..
बेहतरीन ....विमर्श .
अच्छा लेख...
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामना
संभावनाओं से प्रारम्भ हुआ हमारा गणतन्त्र विडम्बनाओं में परिवर्तित हो गया है।
लगता है, गणतंत्र की मूल भावना धीरे-धीरे कम होती जा रही है।
अच्छा लेख।
आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई।
अच्छा लेख...
achchha lekh .
iay hind !
jai gantantra !
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