कितने याद आते हैं वो बचपन के जमानें !
माँ , पापा के साथ वो गुजारे फसानें !
बात - बात पर हँसना कभी रोके उन्हें डराना !
भाई- बहन का लड़ना फिर एक हो जाना !
हर बात से ही तो गमगीन होता है ये बचपन !
किस कदर रंगीन होता है बचपन !
न किसी की परवाह न ही किसी का डर !
हर वक़्त बेखोफ होता है ये बचपन !
माँ- बाबा के साये मै ही तो पलता है बचपन !
हर आह्ट से बेखबर होता है ये बचपन !
जवानी मै भी तो कदम रखता है बचपन !
सारे एहसासों को समेटे चलता है बचपन !
अपने बच्चों मै फिर से नज़र आता है बचपन !
जेसे हमे फिर से आवाज़ दे रहा हो बचपन !
पचपन के हों जाये तो भी साथ रहेगा बचपन !
अब हम क्या कहें कितना प्यारा होता है बचपन !
9 टिप्पणियां:
bachpan to bachpan hota hai.
bahut sundar prastuti.
उफ, बचपन।
jeevan ke sunahre pal sirf bachpan main
aadarniya minakshiji pranam.tapobhumi uttarakhand par ek kavita/geet mere blog par hai samy mile to swagat hai
बचपन के दिन भी क्या दिन थे ...
वाह क्या बचपन ....शुक्रिया
पचपन के हो जाए तो भी साथ रहेगा बचपन।
सही कहा आपने, बचपन को तो यादों में हमेशा सजा कर रखना चाहिए।
aap sabka bahut bahut shukriya dosto
.सुन्दर-----बचपन के दिन भी क्या दिन थे...
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