मासूमियत या जिम्मेदारी


                
                            कितनी मासूमियत है इनके चेहरे मै हर बात से अन्जान जेसे किसी बात  से  कोई  लेना- देना  ही  न हो और कुछ लोग इनकी  मासूमियत को क्यु कैद  करने  की बात कर रहें  हैं ! कैसे  नादाँ  है  ये  लोग जो इन पर अनजाने मै ही जुर्म  ढाने  की बात कर रहें है ! 2 दिन पहले की ही तो ये बात है मेरे एक मित्र ने मुझे बताया की उन्होंने एक समाचार पत्र मै  पड़ा की सरकार एक एसे बिल के बारे मै सोच रही है जो की महिला विकास मंत्रालय के द्वारा पास किया गया है जिसमे 12 साल  के बच्चों को सेक्स की सहमती प्रदान करने की मांग  हो ! जिससे देश मै हो रहें योन अपराधो को रोका जा सके ! मै  सोचती हूँ की जिस महिला ने इस तरह की बात सोची होगी तो क्या उसने अपने बच्चों की तरफ कभी नज़र नहीं डाली होगी की इन सबमें  उनके अपने बच्चे भी आयेंगे ? इस बिल को सभी राज्यों मै लोगों की राय लेने  के लिए भेजा गया लेकिन कहते हैं की जनता ने इसे सिरे से ख़ारिज कर दिया ! सर्वे के मुताबिक 82 % पाठकों   ने इसके खिलाफ राय भी दी ! इस प्रस्ताव को समाज शास्त्रियों और समाजिक   कार्यकर्ताओं का  भी समर्थन हासिल न हो सका ! 47  % लोगो ने साफ़  शब्दों मै कहा की इससे  देश मै गंदगी फेलने के सिवा और कुछ नहीं होगा ! क्या सोच कर ये सब प्रयोग करना चाह रहें थे ये लोग की चलो देखते  हैं क्या होता है , दुसरे देश मै भी तो ये सब प्रयोग  होते रहते हैं पर अगर हम दुसरे देश की बात करते हैं तो उसका उदहारण ये एक है !
    कुछ साल पहले  लन्दन की ही ये बात है जहां पर सेक्स की उम्र 12 -13 ही आंकी गई है ! खबर आई की 13 साल  का एक लड़का बाप बन गया ! उसकी  दोस्त बच्चे की माँ  15 साल की थी ! 4 फुट का येल्फी  अभी खुद ही बच्चा लगता है ! याल्फी से जब ये पूछा गया की वो अपनी बच्ची का खर्च केसे उठाएगा तो उसका कहना था ...इसका मतलब क्या होता है ? उसने इस बात को माना की अभी तो उसे नेप्पी  की कीमत का भी सही दाम नहीं मालूम जो  बच्चा इतनी मासूमियत से हर बात का जवाब ना... मै दे  रहा  हो वो इतनी बड़ी  जिम्मेदारी को  इतनी आसानी से  केसे निभा सकता  है ! जब दोनों से इस बारे मै खुल कर पूछा गया तो उन्होंने कहा की जब वो 12 साल की थी तभी से वो गोलियों का प्रयोग करती थी पर   एक  दिन  खाना  भूल गई   और ये हादसा हो गया ! फिर दोनों ने सिर्फ ये सोच कर की कोई मुसीबत न हो जाये और घर मै डांट न पड़े बच्चे  को जन्म  की बात सोची उसने कहा ... मैने तो एसा सोचा भी नहीं था की मै बच्चे को केसे पालूंगा ? मुझे तो जेब खर्च भी नहीं मिलता  ,  हाँ  कभी - कभी पापा 10  $  दे देते थे ! कितना मासूम सा जवाब था उसका और कुछ  लोग इस मासूमियत को खत्म कर देने मै  तुले हुए हैं !
                                         इस मामले को लेकर ब्रिटेन मै खूब बहस हुई क्युकी वहां इस तरह की  समस्याओं मै अनुपात   दर बढती जा रही थी ! उस वक़्त ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ने कहा की मुझे  इस मामले के ब्योरों की जानकारी नहीं है , लेकिन हम सब इस तरह की प्रेगनेंसी को रोकनाचाहतें  हैं ! तो इससे साफ़ जाहिर होता है की वो भी इस प्रयोग  को करके खुश नहीं हुए बल्कि  उन्हें  इसे  आजमाने से  मुसीबत का ही सामना करना पड़ा ! सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2006 मै  18  साल से कम उम्र की 39 .000  लड़कियां प्रेग्नेंट हुई ! तब वहां की सरकार ने एक और प्रयोग करने की सोची की सेक्स एजुकेशन को स्लेबस मै जोड़ दिया जाये !  और ये तो हमारे देश के लिए बहुत  अच्छी बात है की सारे प्रयोग हमारे सामने हैं हमें तो  सिर्फ गलत और सही का फ़ेसला ही करना है  ! जब  सारे प्रयोग  हमारे सामने ही हैं तो फ़ेसला भी कुछ  सोचा समझा  ही हो तो क्या बात  है !

10 टिप्‍पणियां:

Neeraj Kumar ने कहा…

सच है... सोचना तो पड़ेगा... लेकिन सभी तथ्य जानना पड़ेगा... आखिर इस तरह की सोच के पीछे कोई तो कारण होगा ही ना... इस पर एक बड़ी बहस होनी चाहिए...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

इस पर चर्चा ही क्यों, किसी भी सभ्य समाज को यह मान्य न होगा।

Rahul Singh ने कहा…

नवभारत टाइम्‍स में छपी एक खबर में कुछ और तथ्‍य थे, जिनसे मामला अलग समझ में आ रहा था.

केवल राम ने कहा…

आदरणीय मीनाक्षी पन्त जी
आपने बहुत से तथ्यों के साथ यह समझने का प्रयास किया है कि यह किसी भी तरीके से सही नहीं है ..पर क्या करें जब मंद्बुधि लोग शासन कर रहें हों तो वहां पर यह कोई अचरज नहीं ...आपके तर्कों और मतों से पुर्णतः सहमत हूँ ...आपका आभार

मनोज कुमार ने कहा…

यह सब देश को मान्य नहीं होगा।

girish pankaj ने कहा…

बहुत सुन्दर विचार. इस विषय पर मैं भी लिखूंगा मगर कुछ विस्तार के साथ. फिलहाल आपने जितनालिखा है, जो उदहारण दिए है, वे साबित करते है ऐसा करके हम सामाजिक पतन को ही गतिमान करेंगे. खैर, फिलहाल आपको बधाई, की किसी ने लिखना तो शुरू किया. .

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

कम उम्र में विवाह .....स्वयं में एक बड़ी समस्या है न कि किसी समस्या का समाधान |
हमारी भारतीय संस्कृति में बच्चों को सुसंस्कार द्वारा चरित्रवान बनाये जाने की पूरी
व्यवस्था है | बदलते परिवेश में माता-पिता बच्चों को बहुत कुछ शिक्षा देकर जागरूक
बना सकते हैं | बहरहाल ,किसी भी तरह पाश्चात्य सभ्यता के नियम-कानून हमारे देश
में न तो स्वीकार किये जाने योग्य हैं और न ये बुरा के सिवाय भला ही कर सकते हैं |

K.R. Baraskar ने कहा…

बहुत अहम जानकारी ....

यह लेख निश्चित ही हमारी निकम्मी सरकार के भ्रष्ट और मूर्ख नुमाइंदो को पढ़ना चाहिए... सायद कुछ बुद्धि आ जाए और वो लोग अपने मम्मी-पापा का फेंका कचरा (अमेरिका ब्रिटेन के साड़ीगली टेकनोलोजी) यहा लाना बंद करदे...

Asha Lata Saxena ने कहा…

अच्छी पोस्ट |बधाई
आशा

Minakshi Pant ने कहा…

आप सबका बहुत - बहुत शुक्रिया की हम अपनी राय का एक जेसा समर्थन कर पाए जिससे हमे इस बात को नकारने मै बल मिला धन्यवाद !