पर सिर्फ और सिर्फ
दिखावे मै जीता है !
प्यार करता है ...इन्सान
पर एहसास ...
कुछ भी नहीं !
बहुत बुद्धिमान है ... इन्सान
पर सिर्फ और सिर्फ
ओरों के हिसाब
से ही चलता है !
बहुत मेहनती है ...इन्सान
पर सिर्फ और सिर्फ
इसे गलत कामों
मै गंवाता है !
बहुत ताक़तवर है ... इन्सान
पर सिर्फ और सिर्फ
दिल से ही हार जाता है !
दोड़ता बहुत है ...इन्सान
पर सिर्फ और सिर्फ
मंजिल के करीब जाके
ही लोट आता है !
काश ...ये ... इन्सान
कभी अपने कहने पे
भी चला होता तो ....
आज ये कई और
बुलंदियों को छुता !
8 टिप्पणियां:
आज के इंसान की सही तस्वीर खींचती है आप की कविता.
कभी अपने कहने पे
भी चला होता तो ....
आज ये कई और
बुलंदियों को छुता !
शुभ कामनाएं.
शायद हमने अभी तक इंसान किस कहते है यह नहीं जाना
"कैसा है इन्सान"??
milega to us se jaroor puchhenge jee..
ha ha ha ha
बहुत ही बढ़िया.
सादर
क्या गहरी बात कही है आपने।
गहन अर्थों को समेटे सुंदर प्रस्तुति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
आदरणीय मीनाक्षी पन्त जी
आज की कविता का भाव जितना सशक्त है , उतना ही इसका प्रस्तुतीकरण भी प्रभावी है ....इंसान के हर कर्म को पहचानना और उसे अभिव्यक्त करना ...कितना गजब है...आपका आभार इस उच्च कोटि की रचना के लिए
The silence of life unequaled person is the noise you Fait ... Congratulations. Welcome to Bollywood talkies .. Atul
एक टिप्पणी भेजें