मेरे इंतजार मै तू जो दो पल ठहर जाती !
तेरे गेसूं तले फिर ये शाम हो जाती !
तेरे दीदार पे मै ये जन्नत बिछा देता !
मेरी ये जिंदगानी खुशगवार हो जाती !
तेरी नशीली आँखों का जो मै जाम पी लेता !
मयखाने का तो रास्ता ही मै भुला देता !
तेरी आह्ट से जो तेरा पता मिल जाता !
तेरे क़दमों पे ही मै सारा जहाँ पा लेता !
तेरे अश्कों को अपनी हथेलियों मैं लेके ,
तेरे हर गम को प्यार का मरहम देता !
तेरी हर ख़ुशी मै हरदम तुझ संग झूमता मैं
अपने गम को शामिल उसमे हरगिज न करता !
जो तू कभी जान जाती मेरे इस प्यार को ,
तो तेरे सीने मैं सर रखकर मैं बस रो देता !
10 टिप्पणियां:
क्या खूब लिखा है आपने.
सादर
bahut sundar
तेरी हर ख़ुशी मै हरदम तुझ संग झूमता मैं
अपने गम को शामिल उसमे हरगिज न करता !
जो तू कभी जान जाती मेरे इस प्यार को ,
तो तेरे सीने मैं सर रखकर मैं बस रो देता !
आदरणीय मीनाक्षी जी
आपने एक प्रेमी दिल की सभी बातों को उकेर दिया इस रचना के माध्यम से आपका शुक्रिया
बहुत बढ़िया ...
'जो तू कभी जान जाती मेरे इस प्यार को
तो तेरे सीने में सर रखकर मैं बस रो देता '
पूर्ण समर्पण भाव की सुन्दर, प्रवाहपूर्ण रचना
मधुर प्रेम कविता।
बहुत ही खूबसूरत कविता
आभार !!
हाथ तो मजबूती से थामा है.
बहुत ही सुन्दर भाव.
अच्छी अभिव्यक्ति.
सलाम
बढ़िया ..
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