हर पल जो सर उठाये ,
बहती धारा को रोक आये ,
जलती शमां को जो बुझाये ,
हवा का रुख जो मोड़ने जाये ,
नहीं - नहीं मैं वो तो नहीं !
बड़के सबका साथ दे जो ,
धारा के साथ - साथ बहें जो ,
शमां को फिर से रोशन करे जो ,
हवा के संग - संग चले जो ,
हाँ - हाँ मैं तो वही हूँ !
सबका दिल जो दुखाये ,
मतलब के लिए जो जी जाये ,
कुचल के आगे बड़ता जाये ,
किसी की उन्नति से जल जाये ,
नहीं - नहीं मैं वो तो नहीं !
हाँ सबसे प्यार जो निभाए ,
दूसरों का होंसला बढाये ,
गिरतों को जो हरदम उठाये ,
ओरों की तरक्की मैं जश्न मनाये ,
हाँ - हाँ मैं वही तो हूँ !
दिलों मैं नफरत को जो बढाये ,
देश मै हाहाकार फैलाये ,
गरीबों से प्यार न जताए ,
इंसा को इंसा से लड़ाए ,
नहीं -नहीं मैं वो हरगिज़ नहीं !
दिलों मैं प्यार को जगाये ,
देश मैं शांति लेके आये ,
गरीबों को होंसला दिलाये ,
इंसा मै प्यार जो जगाये ,
हाँ - हाँ मैं बस वही हूँ !
10 टिप्पणियां:
बहुत उम्दा!
bahut sunder abhivaykari
aapka aabhar
सुन्दर सशक्त अभिव्यक्ति
अच्छी रचना। अच्छे और बुरे का अहसास कराती रचना।
बेहतरीन प्रस्तुति
आभार !!
bahut sunder abhivaykti
aapka aabhar
खुद की पहचान करने कों प्रेरित करती एक सुन्दर प्रस्तुति ।
बहुत अच्छा
मैं आप सबकी शुक्रगुजार हूँ दोस्तों ये आपकी मेहरबानी है की आप मेरे लेख पढ़ते है और इसकी सराहना करते हो
इससे मुझे और बेहतर लिखने की ताक़त मिलती है शुक्रिया दोस्तों !
वाह ...बहुत ही सुन्दर
shandar prastuti
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