परिवर्तन ही नियम


किसी के जाने से कारवां रुक नहीं जाता |
किसी के आने से इतिहास कब बदलता है |
जिंदगी एक प्रवाह है न रुका है न रुकेगा | 
चलता ही रहा है और चलता ही रहेगा |
अगर एक तरह से जी कर थक चुके हो तुम 
तो जीवन को जीने का अंदाज़ बदल डालो |
उसको जीने के मायने ही बदल दो तुम  |
इन्सान तो अपने आप आप में खूबियों का 
एक भरपूर पुलिंदा है |
वो जब चाहे गाँधी , सुभाष और जब चाहे 
सचिन और सहवाग बन सकता है |
तो इससे साफ़ जाहिर होता है की सारी
खूबियों का शहंशाह सिर्फ इन्सान ही है |
बस जरुरत है तो इतना की उसका उपयोग 
किस स्थान पर कब और कैसे  किया जाये |
क्युकी दुनिया तो एक रंगमंच है और 
हम सब इस रंगमच के कलाकार हैं  |
बस अपनी - अपनी कला से एक दुसरे को 
मोहित करना हमारा काम है  |
बस थोड़े वक्त  का ही ये खेल होता है |
क्युकी हम तो सितारे हैं उपर से आयें है ,
और वापस सितारों में ही जाके मिलना है |
जिंदगी की  रफ़्तार को न आज तक कोई 
रोक पाया है और न ही रोक सकता है |
सारी सृष्टि की ये सच्चाई है बिना परिवर्तन 
के कुछ भी संभव नहीं |
फिर और किसका इंतजार करना है |
इस जीवन को अपने ही अंदाज़ में 
जीके निकलना  हैं |
हाय तौबा  न करते हुए ख़ुशी - खशी 
आगे की और ही तो बढ़ना  हैं |   

8 टिप्‍पणियां:

OM KASHYAP ने कहा…

.बहुत खूब लिखा है
बेमिशाल प्रस्तुति - आभार

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

इन्सान तो अपने आप आप में खूबियों का
एक भरपूर पुलिंदा है |
वो जब चाहे गाँधी , सुभाष और जब चाहे
सचिन और सहवाग बन सकता है |

laxmi bai, PT usha, ko bhul gayee...:)

waise ek sarthak rachna fir se..:)

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

bilkul sahi kaha aapne,

parivartan hi niyam hai

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

हौसलों को आवाज़ देती हुई सुन्दर और विचारणीय प्रस्तुति !

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

'क्यूंकि दुनिया तो एक मंच है

और हम सब इस रंगमंच के कलाकार हैं'

शाश्वत सत्य को परिभाषित करती सुन्दर रचना

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आगे बढ़ते जाना है।

Rahul Singh ने कहा…

आगे बढ़ने की इस भावना और संदेश के प्रति शुभकामनाएं.

ज्योति सिंह ने कहा…

aap chhoti chhoti baton ko badi khoobsurati ke saath likhti hai .aadmi ki pahchan kamo se hi hoti hai sach kaha .