आज का ही तो वो दिन था |
जब इन मजबूत हाथों से
थामा था मैने तुम्हें |
तब से आज तक पल - पल
बढ़ते देख रही हूँ मैं तुम्हें |
तुम हर बात से बेखबर भले ही हो ,
पर मैं तो हर वक्त तुम्हारे साथ
साये की तरह रहती हूँ |
तुम्हारे अच्छे काम मैं तुम्हारे
साथ झूमती भी हूँ |
तुम्हारे बहक जाने पर तुम्हें
राह भी दिखाती हूँ |
तुमने कब बचपन पीछे छोड़
जवानी में कदम रखा
ये सब कहाँ जान पाई मैं |
क्युकी मेरी आँखों ने तुम्हें हर पल
वही छोटा सा बच्चा समझा |
तुम्हारा वो हँसना - हँसाना
पल - पल मैं रूठ जाना |
सब अपने साथ ही लेके तो
चलती हूँ मैं |
अब तुम हर बात को समझती हो |
पर मेरे सामने तो आज भी तुम
वही प्यारी सी बच्ची हो |
तुम भी इस बात को आज
खूब समझती हो |
तभी तो तुम भी बच्चों की तरह
मुझसे वैसे ही लिपटती हो |
कितना प्यारा सा रिश्ता है
ये मेरा और तुम्हारा |
कभी प्यार , कभी तकरार
पर फिर भी है सबसे खास |
मेरी दुआ है की बना रहे ये
प्यारा सा एहसास हर दम
हमारे साथ |
और तुम आगे बढती रहो
इसी दुआ के साथ |
10 टिप्पणियां:
bahut hi sundar panktiyan
in sundar panktiyon ke liye bahut bahut dhnyvaad
hamare blog par bhi aapka swagat hai
क्यों करते हैं जिस्मफरोशी का धंधा ? क्या मजबूरी यही कहती है ? या फिर .........>>> संजय कुमार
पर फिर भी है सबसे खास |
मेरी दुआ है की बना रहे ये
प्यारा सा एहसास हर दम
हमारे साथ | सुन्दर सन्देश दिया है। बधाई सुन्दर रचना के लिये।
वाह क्या बात है, लेकिन कितना लिखती हैं आप, हम तो इतनी टिप्पणी भी नहीं लिख पाते.
मेरी दुआ है की बना रहे ये
प्यारा सा एहसास हर दम
आज का ही तो वो दिन था |
जब इन मजबूत हाथों से
थामा था मैने तुम्हें |
यही तो सम्बन्धों की शक्ति है।
maa-beti ka pyar chhalak raha hai..:)
aaj kya aapke beti ka birthday to nahi hai...:D
aisa kuchh lag raha hai pahli pankti se..:)
jo bhi ho...bahut shubhkamnayen!!
aap sabhi ka bahut bahut shukriya
माँ बाप के लिए बच्चे तो बच्चे ही रहते हैं चाहे वे कितने ही बड़े क्यों न हो जाएँ|
सरल और स्पष्ट रचना
शुभकामनायें !!
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