शिव बीज और पार्वती क्षेत्र स्वरूप हैं | शिवलिंग , संरचना , निर्माण का प्रतीक है , लिंग व् योनी का समागम है , इसमें शिवलिंग में सांप दर्शाया जाता है और उस लिंग पर ऊपर से जल गिर रहा है अर्थात काम वासना रूपी अग्नि उस जल के द्वारा शीतल शांत रहे , वर्ना वासना की अधिकता शव बना सकती है | जन्मकुंडली का पहला भाव लिंग स्वरूप ,चौथा भाव जल स्वरूप व् सप्तम भाव योनी स्वरूप है और अष्टम भाव शमशान है जन्म पत्रिका का पहला केंद्र स्वयं शिव है | उसके दोनों तरफ धन और व्यय है | चौथे केंद्र के दोनों तरफ साहस और बुद्धि है | सप्तम भाव केंद्र के दोनों तरफ रोग , शत्रु , क़र्ज़ व् मृत्यु है , जबकि दशम भाव के दोनों तरफ भाग्य व् लाभ हैं | सप्तम भाव मारक स्थान होता है , अत : काम वासना भी मारती है विपरीत लिंगी आकर्षण भी मारक होता है | जीवन साथी प्राप्ति में क़र्ज़- रोग व् शत्रुता सब हो सकते हैं लेकिन इस वासना से निकलोगे तो धर्म भाव पहचानोगे , अर्थात जन्म कुंडली के अगले भाव धर्म - कर्म - लाभ - हानि इसे पहचान पाएंगे | जन्म कुंडली का पहला भाव शिव है तो सप्तम भाव पार्वती है | यही बात नर से नारायण और नारी से नारायणी होने की कला सिखाती है |
11 टिप्पणियां:
आपको महाशिवरात्रि ही हार्दिक शुभकामनायें
ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आभार. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं .
आपको इस पर्व की शुभकामनायें।
आपको महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें| धन्यवाद|
shivratri ki bahut saari shubhkamnayen..:)
ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आभार. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं .
Shiv sanharkarta hain islye nahin ki vinash lazimi hai, isliye ki bina vinash ke punarnirman nahi hota.
Sarp hamare bheetar ke vish ka dharak hai...aur manushya ke bheetar kaam vaasna se bhara vishghat aur kuch nahin..Aap ke vichar aur udgar nahut ho sarthak aur tatva se bhare hain...sargarbhit jaan kari ke liye dhanyavad.
ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आभार... महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ...
mahashivratri ki bahut bahut shubhakamnaye...
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ।
हम तो बिना विश्लेषण के ही प्रणाम कर लेते हैं.
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