क्यु हरदम टूट जाने की बात करती हो |
नारी हो इसलिए बेचारगी की बात करती हो |
क्या नारी का अपना कोई आस्तिव नहीं ?
एसा कह कर खुद को नीचे गिराने की बात करती हो |
खुद को खुद ही कमजोर बना , ओरों पर क्यु
इल्ज़ाम लगाने जैसी बात कहती हो ?
खुद को परखने की हिम्मत तो करो |
कोंन कहता ही की तुम ओरों से कम हो ?
एसे तो खुद ही खुद को कमजोर
बनाने की बात कहती हो |
नारी की हिम्मत तो कभी कमजोर थी ही नहीं |
ये तो इतिहास के पन्नों में सीता , अहिल्ल्या
सती सावित्री की जुबानी में भी है |
फिर क्यु घबरा कर कदम रोक लेती हो ?
अपनी हिम्मत को ओरों से कम क्यु
समझती हो |
अपना सम्मान चाहती हो तो पीछे हरगिज़
न तू हटना |
पर किसी को दबाकर उपर उठाना एसा भी
तू हरगिज न करना |
इस सारी सृष्टि में सबका अपना बराबर
का हक है |
खुद के हक को पाने के लिए किसी को भी
तिरस्कृत तू हरगिज़ न करना |
ये नारी तू प्यार की देवी है |
इस नाम को भी कलंकित तू
कभी न करना |
प्यार से अपने हिस्से की गुहार
तू हर दम करना |
अपने साथ जोड़ना ... किसी को
तोड़कर आगे कभी न बढ़ना |
साथ लेकर चलने का नाम ही समर्पण है |
नारी के इसी प्यार पर टिका सृष्टि
का ये नियम भी है |
इसको बचा कर रखना इसमें तेरा ,
मेरा और सबका हित भी है |
7 टिप्पणियां:
मुझे आपका अंदाज पसंद आया, काफी अच्छा लिखा है आपने
मैं नारी हूँ , नर को मैंने ही जन्म दिया..
प्रबल आत्मविश्वास प्रदीपित रचना है,,
Aaaj ki apki rachna....sach kahun to aapke sabhi rachnao se sarwopari hai..:)
क्यु हरदम टूट जाने की बात करती हो | नारी हो इसलिए बेचारगी की बात करती हो |
mujhe nahi lagta nari aaj ke din me bechargi ke liye koi shabd hai..!
nari to sach me pyar ki devi hai...
सर्वप्रथम महिला - दिवस पर आपको शत - शत नमन
aapka bhi andaaz bahut niraala hai
शानदार अंदाज
.... नारी शक्ति को नमन
महिला दिवस पर अभिनन्दन
दोनों पक्ष ऐसे ही उच्च मानकों पर जियें।
प्रबल आत्मविश्वास प्रदीपित रचना है|
महिला दिवस पर अभिनन्दन|
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