प्यार ही प्यार


कितनी अजब सी ये बात है |
जीवन के साथ , कैसा ये खिलवाड़ है |
जिसके  एहसास से सृष्टि है खड़ी  हुई |
जिसके क़दमों तले है दुनिया झुकी हुई |
उसी की गिरफ्त से सब है बचना चाहे |
उसके पहलूँ से न बंधना चाहे |
वो खून में चलने  वाली रवानगी है |
वो तो फुल में बहने वाली खुशबु है |
फिर क्यु इसके नाम से इन्सान है कापें |
उसके एहसास को क्यु न समझ पाए |
क्या सबको   इसका ज्ञान नहीं ?
या उसके एहसास का भान नहीं ?
वो  तो निरंतर बहने वाली धारा है |
न बुझने  वाली ज्वाला है |
वो  स्वतंत्र सोच का विस्तार है  |
न कोई रीती , और न ही  रिवाज़ है  |
न  धर्म  , और न ही कोई समाज है  |
हर रूप में खुद को सजाए हुए |
हर वर्ग में अपना साम्राज्य बनाये हुए |
रोको ... तो दुगनी गति से बढता हुआ |
इक मस्त पवन सा उड़ता हुआ |
 वो तो है हर एक गुलशन में ,
भँवरे के प्यारे गुंजन में |
हर एहसास में खुद को गड़ता हुआ |
हर डर से आगे बढता हुआ |
एक मौन  निमंत्रण की भांति |
एक  एहसास को हरदम रचता हुआ |
दिल की धड़कन में बसता हुआ |
उसकी धड़कन उसका  पैमाना है |
उसकी गति ही उसकी  सूचक है |
हवस , जोर , जबरदस्ती 
ये सब इसके नाम नहीं |
समर्पण , सम्मान , विश्वास  
हाँ इससे ही उसका नाता हैं |
शायद इसी से लोग  घबराते हैं ?
इसके  एहसास से दूर हो जाते हैं |
प्यार से खुबसूरत कुछ भी नहीं |
वो तो जीने की एक आशा  है |
सारे कण - कण की अभिलाषा  है |
जो जीवन को गति है देता |
आपस के प्यार को बल देता |
उसके बिन  जीवन नीरस है |
वो इक  दजे  के  पूरक  है  |
सारी सृष्टि में उसका वास  है |
क्युकी प्यार ही सबका संसार है |
हमको  तो  सिर्फ समझना है |
बस उसके  रंग में खुद को रंगना है |

14 टिप्‍पणियां:

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

जी बहुत सुंदर... मुनव्वर राना की दो लाइनें हैं..

मां मेरे गुनाहों को कुछ इस तरह से धो देती है,
जब वो बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।।

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

बहुत भाव भरे हैं आपकी इस छोटी सी रचना में .. आप अत्यंत अच्छा और सार्थक लिखती हैं.. हार्दिक शुभकामना..

Rakesh Kumar ने कहा…

" सारी सृष्टि में उसका वास है | क्युकी प्यार ही सबका संसार है |
हमको तो सिर्फ समझना है | बस उसके रंग में खुद को रंगना है |"

क्या खूबसूरत तरीके से प्यार का अहसास करवा रहीं हैं आप.आपकी सुन्दर प्रस्तुति ने प्यार के रंग में रंग दिया मन को.बहुत बहुत आभार.

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

बहुत सुंदर...

अविनाश मिश्र ने कहा…

सुन्दर एवं सार्थक अभिव्यक्ति

प्यार तो बस प्यार ही है जी ..

कभी हमारे ब्लॉग भी आयें

मुझे खुसी होगी

avinash001.blogspot.com

इंतजार रहेगा आपका

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

यही सृष्टि का मूल है।

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

pyaar hi pyaar ho, jahaan dekho !
sunder bhavna !subder abhivykti !

ZEAL ने कहा…

बस प्यार ही प्यार बेशुमार । केवन माँ का प्यार ही सदैव मिलता है । शेष रिश्तों में तो बनावट की झलक होती है , कब बुरा मानकर चले जायेंगे दूर , पता ही नहीं होता।

विभूति" ने कहा…

एक एहसास को हरदम रचता हुआ |
दिल की धड़कन में बसता हुआ |bhut hi sunder... happy mother day...

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर मीनाक्षी जी ,,,एक एक शब्द मन को छु गया

विशाल ने कहा…

बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने.
बहुत खूब.

Minakshi Pant ने कहा…

मेरे सभी दोस्तों का तहे दिल से शुक्रिया |

Dr Varsha Singh ने कहा…

बहुत अच्छी लगी आपकी कविता . बधाई

Vijuy Ronjan ने कहा…

वो तो है हर एक गुलशन में , भँवरे के प्यारे गुंजन में | हर एहसास में खुद को गड़ता हुआ | हर डर से आगे बढता हुआ | एक मौन निमंत्रण की भांति | एक एहसास को हरदम रचता हुआ | दिल की धड़कन में बसता हुआ |बहुत सारगर्भित बात कही आपने मीनाक्षी जी।बचपन में मैं और मेरे भ्राता श्री अपनी माँ के लिए एक गीत गाते थे जो फिल्मी है...”उसको नहीं देखा हमने कभी, पर उसकी जरूरत क्या होगी...ऐ माँ , ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी॥क्या होगी...उसको नहीं देखा हमने कभी...”
आपने जो कुछ भी लिखा है वह दुनिया की सारी माताओं और उनके स्नेह स्वरूप को समर्पित है...बहुत बढ़िया।