हसरत

एहसास ही न हो  , नहीं ऐसा तो नहीं है |
पर ख्वाबों का जखीरा , उसे जोड़े नहीं है |
एक एहसास से इन्सान , जुड़ता है जैसे ,
दुसरे ख्वाब की दरकार भी ,करता है वैसे |
उसके ख्वाबों  का पुलिंदा , बढता है जाता |
एहसासों के पथ से वो ...  हटता है जाता |
इस भागती दुनियां में वो , भागता जा रहा है |
संवेदनाओं से अनजाने ही , हटता जा रहा है |
सबको पाने की चाहत में , सबको चाह रहा है |
इसी तरह वो... अपनों को  खोता जा रहा है |
थोड़े से पाने कि चाहत में ज्यादा गवां रहा है 
अपनी ही जिंदगी से रुसवा होता जा रहा है |
न जाने कहाँ जाकर ठहरेगी , उसकी ये हसरत |
अरमानों पुलिंदा हरपल , बढ़ता ही जा रहा है |
ऐसा  न हो कि... दूर हो जाये उससे उसकी अपनी मोहब्बत |
क्युकी वो सबको , अपने पहलूँ में बाँधना चाह रहा है | 

15 टिप्‍पणियां:

Vijuy Ronjan ने कहा…

मीनाक्षी जी, नमस्कार । मानव संवेदनाऑ की अभिव्यक्ति आपकी कविताओं में बहुत ही अच्छी तरह उभर कर आती....बहुत अछि लगी पंक्तियाँ।इतना ही कहना चाहूँगा,
सिर्फ एहसास है ये,
बहुत ही खास है ये,
इसे कहाँ ढूँढता तू बंदे,
तेरे मन का विश्वास है ये....

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

यही हसरत तो खत्म नहीं होती ...अच्छी प्रस्तुति

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

जी बहुत सुंदर..

संवेदनाओं से अनजाने ही , हटता जा रहा है | सबको पाने की चाहत में , सबको चाह रहा है

vandana gupta ने कहा…

बिल्कुल सही बात कही …………हसरतों को कहीं ना कहीं तो ठहरना होगा।

BrijmohanShrivastava ने कहा…

दूर हो ही रहा है आदमी अपनों से ,अपने आप से ,अपने आप से मिलने में डरता है,अकेले में कही अपने आप से साक्षात्कार न हो जाये इसलिये अकेला नहीं रहना चाहता ,भाग रहा है भाग रहा है और जब थक जायेगा तो कहेगा गवां दी अपनी जिन्दगी । अच्छी शिक्षा देती बातें ।

बेनामी ने कहा…

namaskar pant G
acchi rachna hai ......
sacchai ko bakhubi prastut kiya hai aapne

prerna argal ने कहा…

bahut hi sunder rachanaa.sambedanaon se bhari hui.sunder shabdon ka chayan.badhaai aapko.


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संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

मीनाक्षी जी, नमस्कार

बेहतरीन ,यही हसरत तो खत्म नहीं होती ...अच्छी प्रस्तुति

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुन्दर |उन्मुक्त भाव |

virendra sharma ने कहा…

एक शायर ने बहुत पहले भांप लिया था यह सब जब उसने कहा था -हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले ,बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले ।
एक एहसास यह भी है -
बिना एहसास के ज़िंदा हूँ ,इसलिए कि जब कभी एहसास लौटें खैर -मकदम कर सकूं ।
बेहतरीन प्रयास है आपका ,आज की चूहा दौड़ में शामिल हवश को उभारतींहैं आपकी पंक्तियाँ ,आपका आशय .

Minakshi Pant ने कहा…

मेरे सभी दोस्तों का बहुत - बहुत शुक्रिया |

विभूति" ने कहा…

bhut bht acchi rachna...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हसरतें ही जीने का सहारा हैं।

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

हसरते कभी ख़त्म नहीं होती....
बहुत बेहतरीन प्रस्तुति है ..