मानव का मानव के भीतर जब न हो सम्मान ,
फिर कैसे फूटेगा मुख से कोई सुन्दर गान |
चारों तरफ जग में फैला हो जब घोर अंधकार ,
तो करो विनय सूरज से करवा दे सुबह का भान |
खिंच दिलों में मानव के , कड़ी कर दो ऐसी दीवार ,
करो कुछ ऐसा कि करें सब एक दूजे को स्वीकार |
तुम ही देश के रखवाले , तुम ही हो पहरेदार ,
तुम हो देश के रक्षक , तुम से ही तो है सरकार |
करो कुछ ऐसा कि पलने लगे सबके दिल में प्रीत ,
सबकी वाणी गाने लगे जन - गन - मन का गीत |
देखो बदनाम न करना दोस्ती कि ये रीत ,
कोई तुमसे ये न कहे कैसे हो तुम मेरे मन मीत |
जागो भारत जागो ये अपने देश कि है प्यारी पुकार ,
हो जाओ मिलकर एक जो है तुमको भी इससे प्यार |
न रहे कोई दुश्मन भर दो सबके दिल में संगीत ,
सब इसमें में ही खो जाये न रहे राग - द्वेश का गीत
12 टिप्पणियां:
मानव का मानव के भीतर जब न हो कोई सम्मान ,
फिर कैसे फूटेगा किसी के मुख से कोई सुन्दर गान |खिंच दिलों में मानव के , कड़ी कर दो ऐसी दीवार ,
करो कुछ ऐसा कि करें सब एक दूजे को स्वीकार |करो कुछ ऐसा कि पलने लगे सबके घर - घर में प्रीत ,
सबकी वाणी फिर गाने लगे जन - गन - मन का गीत |
बहुत सुन्दर आह्वान्।
शुक्रिया वंदना जी :)
बहुत सुन्दर आह्वान्।
करो कुछ ऐसा कि पलने लगे सबके घर - घर में प्रीत ,
सबकी वाणी फिर गाने लगे जन - गन - मन का गीत |
बढिया रचना।
बधाई
शुक्रिया संजय जी और महेंदर जी आपका भी बहुत बहुत शुक्रिया दोस्त :)
जागो भारत जागो ये अपने देश कि ही तो है प्यारी पुकार ,
.........आज एसी रचनाओं की बहुत ही आवश्यकता है
जागरूक करती हुई सुन्दर रचना |
करो कुछ ऐसा कि पलने लगे सबके घर - घर में प्रीत ,
सबकी वाणी फिर गाने लगे जन - गन - मन का गीत |
बहुत बढ़िया...
जागो भारत जागो ये अपने देश कि ही तो है प्यारी पुकार ,
हो जाओ तुम सब मिलकर एक जो है तुमको भी इससे प्यार
सुन्दर कविता......बहुत सुन्दर आह्वान्...
जागो भारत जागो ये अपने देश कि ही तो है प्यारी पुकार ,
हो जाओ तुम सब मिलकर एक जो है तुमको भी इससे प्यार
सुन्दर कविता......बहुत सुन्दर आह्वान्...
जागो भारत जागो ये अपने देश कि ही तो है प्यारी पुकार ,
हो जाओ तुम सब मिलकर एक जो है तुमको भी इससे प्यार
सुन्दर कविता......बहुत सुन्दर आह्वान्...
यह कर्तव्य निभाना होगा।
एक टिप्पणी भेजें