आवारापन उसका
न जाने क्यु भाता है मुझे |
वो चुपके से मेरे कानों में
कुछ कहकर निकल जाता है |
उसके आने से सारे आलम
एक मस्ती सी छा जाती है |
बेशक वो पल भर के लिए
ठहर कर चला चला जाता है |
मदहोश सांसे उसकी
हमें बेकरार कर जाती हैं |
न जाने वो किस गली से
ये सब समेट कर लाता है |
पर हमको तो अपने रंग
में वो तब भी रंग जाता है |
उसके रूप को मैंने ...
कभी करीब से नही देखा |
पर उसका एहसास तन - बदन में
बिजली सी दौड़ा जाता है |
बहुत बार चाहा
बढकर मैं रोक लूँ इसे |
पर उसकी आवारगी को
मैं कहाँ रोक पाती हूँ |
उसके एहसास को जान कर
मैं उसके होने का पता लगाती हूँ |
उसके आस्तिव का पता
आजतक कहाँ लगा पाई हूँ |
कभी मंद - मंद कभी
तूफान बनकर वो
अपना परिचय बतलाता है |
उसके आते ही मीठा सा एहसास
और जाते ही फिर .......
आने कि आस लगाती हूँ |
20 टिप्पणियां:
bahut achhi bat kahi hai, bheetar tak utarti gai... Badhai !!!!!!!!
बहुत भावपूर्ण कविता ह.......
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई!!!!
मेरा निवेदन है आपसे की आप भी बेहतर भारत के लिए 16 अगस्त से अन्ना के आन्दोलन के साथ जुड़ें!!
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई!!!!
meenakshi ki saari rachnayen ek se badh kar ek hoti hai...mujhe to lagta hai, mere comments hi uss layak nahi ho pate...:)
madan jee ko koi samjhaye.....anna ke andolan se judne se behtar bharat nahi ho jayega:D
बहुत सुंदर भावों से सजी रचना....
बहुत सुंदर रचना,
बहुत बार चाहा
बढकर मैं रोक लूँ इसे |
पर उसकी आवारगी को
मैं कहाँ रोक पाती हूँ |
शुभकामनाएं
भावो को खूबसूरती से उकेरा है।
बहुत खूब ... जो कोई भाता है उसकी हर अदा अच्छी लगती है :)
बहुत खूब ....चाहने वाले ही हर अदा प्यारी लगती है ....हर बार की तरह से इस बार भी कमाल की लेखनी ...आभार
anu
मुकेश कुमार सिन्हा जी
यह अपना नुकसान करके दूसरे से अपनी बात मनवाना एक गांधीवादी तरीका है। एक अहिंसक तरीका है किसी जिद्दी व्यक्ति या संस्था की आत्मा को झकझोरने का। जब अपनी ताकत पर मगरूर संस्थाएं कुछ भी सुनने को तैयार नहीं होतीं, तब ऐसे हथियार का सहारा लिया जाता है।
मुकेश कुमार सिन्हा जी
यह अपना नुकसान करके दूसरे से अपनी बात मनवाना एक गांधीवादी तरीका है। एक अहिंसक तरीका है किसी जिद्दी व्यक्ति या संस्था की आत्मा को झकझोरने का। जब अपनी ताकत पर मगरूर संस्थाएं कुछ भी सुनने को तैयार नहीं होतीं, तब ऐसे हथियार का सहारा लिया जाता है।
bahut sunder kavita bahut bahut badhai..
वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
बढ़िया प्रस्तुति.......बधाई!!!
स्वतंत्रतमना को कौन रोक सका है? सुन्दर रचना!
that was very lovely..
a sense freedom n enjoyment was reflecting throughout :)
भावपूर्ण अभिवयक्ति....
आवारापन में एक उड़ते पंछी का प्रतिबिम्ब होता है, हर समय कुछ नया देखने के लिये।
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