कुछ लोग कहते हैं
कि हम जिद्दी हैं |
अगर ये जिद्द ... किसी को
उसका अधिकार दिलाने कि है ?
तो हाँ मैं मानती हूँ कि मैं जिद्दी हूँ |
कुछ लोग कहते हैं
कि मुझमें बहुत अभिमान है ,
अगर ये अभिमान अपने
देश के प्रति है ?
तो हाँ मैं कहती हूँ कि मैं अभिमानी हूँ |
कुछ लोग कहते हैं
कि हममें लालच बहुत है ?
अगर ये लालच बेसहारा को
सहारा देने का है |
तो हाँ मैं कहती हूँ कि मैं लालची भी हूँ |
कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं
कि तुम क्रोधी स्वभाव कि हो ?
अगर थोडा सा क्रोध
आपको सम्मान दिलाता भी है |
तो हाँ मैं भी मानती हूँ कि मैं क्रोधी भी हूँ |
कोई भी बात गलत कैसे हो सकती है
जब उसको सही दिशा दे दिया जाये |
सकारात्मक सोच |
इंसान के हर पहलु को उभारता है |
जिसमे अपना स्वार्थ कम और
दूसरे कि खुशी ज्यादा हो |
निस्वार्थ भाव में ही सबकी खुशी |
29 टिप्पणियां:
सच है , ऐसा जिद्दी होना , लालची होना और क्रोधी होना अच्छा है
बहुत - बहुत शुक्रिया दीदी आपका स्वागत है मैं आपकी शुक्रगुजार हूँ कि आप मेरी हर पोस्ट में हाजरी देती हैं |
सकारात्मक सोच ही बदल सकती है मेरे हिन्दुस्तान को, आपकी सोच को सलाम
वाह ...बहुत ही बढि़या ..।
bilkul sahi kaha aapne... sakaratmak soch hi badal sakti samaj ko...
ऐसी सकारत्मक सोच के लिए आपको सलाम मीनाक्षी जी
जिद्द से नए रास्ते बनते हैं.. सुन्दर कविता..
एक सकारात्मक सोच जिन्दगी को बदलने में बहुत सहायक है...
बहुत अच्छी सोच के साथ ही संदेश देती हुई रचना।
कुछ लोग कहते हैं
कि मुझमें बहुत अभिमान है ,
अगर ये अभिमान अपने
देश के प्रति है ?
तो हाँ मैं कहती हूँ कि मैं अभिमानी हूँ |
खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति
हर चीज में कुछ न कुछ अच्छा होता ही है।
very nicely said
अगर ऐसा है तो यह सब कुछ होना सही नहीं , बल्कि बहुत सही है ....!
bahut sundar rachna, aabhar.
वाह ...बहुत ही बढि़या ..!!!!!!
बहुत ही तथ्यात्मक बात कही है आपने | इसके लिए आपका बहुत धन्यवाद |
मेरा आपसे निवेदन है कि 16 अगस्त से आप एक हफ्ता देश के नाम करें, अन्ना के आमरण अनशन के शुरू होने के साथ ही आप भी अनशन करें, सड़कों पर उतरें। अपने घर के सामने बैठ जाइए या फिर किसी चौराहे या पार्क में तिरंगा लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाइए। इस बार चूके तो फिर पता नहीं कि यह मौका दोबारा कब आए।
आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।
कुछ लोग कहते हैं
कि हममें लालच बहुत है ?
अगर ये लालच बेसहारा को
सहारा देने का है |
तो हाँ मैं कहती हूँ कि मैं लालची भी हूँ |
अत्यंत सशक्त और ओजस्वी विचार, आज इसी जज्बे और हिम्मत की जरूरत है इस समाज में. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
सकारात्मक सोच ...
कुछ लोग कहते हैं
कि हममें लालच बहुत है ?
अगर ये लालच बेसहारा को
सहारा देने का है |
तो हाँ मैं कहती हूँ कि मैं लालची भी हूँ |
इसी लिए हम कहते हैं, हर चीज़ में एक गुड होता है जी।
वाह ...बहुत ही बढि़या ..।
uddeshya pavitra hona chahiye..phir kuch bura nahi hai..badhayee aaur apne blog pe amantran ke sath
बहुत ही कायदे की बात कही आपने। बधाई।
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ऑटिज्म और वातावरण!
ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
बहुत अच्छी सोच...संदेश देती हुई रचना...
very effective and strong expressions !!
Loved it
बहुत ही बढि़या ......
bahut achchi soch liye sandesh deti hui bemisaal rachanaa badhaai aapko.
ham sab aisi jidd ka anukaran kar le to kya galat hai...fir me b kahungi me galat hu to han me galat hi sahi.
bahut prabhavi rachna.
जायज वजहों से ऐसा होने में अच्छाई ही है...बेहतरीन!!
ऐसी जिद सबमें होनी चाहिए...
सादर...
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