नई सुबह है आने को |
तम हटेगा , धुंद हटेगी ,
नया प्रकाश है छाने को |
देखो किरणों कि ये छटा ,
पेड़ों पर है ठहर जाने को |
सर्दी कि ठिठुरती बेला को ,
फिर से है गरमाने को |
गांव कि गोरी छम - छम करती ,
चली पनघट में लेने पानी को |
सूरज कि किरणों से बचती ,
आँचल से लगी मुंह छुपाने को |
सागर कि लहरें भी लगी अब ,
अपना करतब दिखाने को |
लगी किनारों से टकराने ,
अपना आस्तिव बतलाने को |
चिड़िया अम्बर में उड़ निकली ,
आज़ादी का आभास दिलाने को |
मछुवारों कि टोली चल निकली ,
अपना कर्तव्य निभाने को |
8 टिप्पणियां:
सागर कि लहरें भी लगी अब ,
अपना करतब दिखाने को |
लगी किनारों से टकराने ,
अपना आस्तिव बतलाने को |nai ubah phir pyaari hai, aashaaon se bhari
bhaut hi sundar nayi subah hogi....
नई सुबह का मधुरिम प्रकाश।
बहुत सुन्दर आह्वान
बहुत प्यारी रचना, नयी सुबह आएगी. शुभकामनाएं.
चिड़िया अम्बर में उड़ निकली ,
आज़ादी का आभास दिलाने को |
मछुवारों कि टोली चल निकली ,
अपना कर्तव्य निभाने को |
bahut sundar v prerak rachna .
चिड़िया अम्बर में उड़ निकली ,
आज़ादी का आभास दिलाने को |
-आज़ादी की सही परिभाषा .....
आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (५) के मंच पर शामिल की गई है /आप ब्लोगर्स मीट वीकली (५) के मंच पर आयें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराएं /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /प्रत्येक सोमवार को होने वाले
ब्लोगर्स मीट वीकली मैं आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /
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ब्लॉगर्स मीट वीकली (5) Happy Janmashtami & Happy Ramazan
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