गरजती है बरसती है सीने से लगती है |
मेरी बैचेन सांसों को वो ऐसे सजाती है |
मैं पास जाता हूँ तो वो दामन बचाती है |
मुझे दिन रात वो हर पल ऐसे सताती है |
मेरे न होने पर वो कुछ खामोश होती है |
मेरे आने पर वो इसका जश्न मनाती है |
कभी बहुत रुलाती है कभी मान जाती है |
मेरे सोये अरमान को फिर से जगाती है |
बड़ा दिलकश उसका ये अंदाज़ लगता है |
जो दिन - रात हर हाल में साथ रहता है |
उसकी हंसी वो उसका बालपन प्यारा |
मेरे तो रोम - २ को पुलकित करता है |
वो जब भी मुसकुराती है तो फूल छरते हैं |
ठंडी हवाओं के छोकें उसका पैगाम लाते हैं |
मैं फिर संभालता हूँ फिर आगे को बढता हूँ |
वो तो संग साया बनके मेरे साथ चलती है |
मैं जब लडखडाता हूँ वो आके थाम लेती है |
अपने होने का मीठा एहसास छोड जाता है |
मैं पास जाता हूँ तो वो दामन बचाती है |
मुझे दिन रात वो हर पल ऐसे सताती है |
मेरे न होने पर वो कुछ खामोश होती है |
मेरे आने पर वो इसका जश्न मनाती है |
कभी बहुत रुलाती है कभी मान जाती है |
मेरे सोये अरमान को फिर से जगाती है |
बड़ा दिलकश उसका ये अंदाज़ लगता है |
जो दिन - रात हर हाल में साथ रहता है |
उसकी हंसी वो उसका बालपन प्यारा |
मेरे तो रोम - २ को पुलकित करता है |
वो जब भी मुसकुराती है तो फूल छरते हैं |
ठंडी हवाओं के छोकें उसका पैगाम लाते हैं |
मैं फिर संभालता हूँ फिर आगे को बढता हूँ |
वो तो संग साया बनके मेरे साथ चलती है |
मैं जब लडखडाता हूँ वो आके थाम लेती है |
अपने होने का मीठा एहसास छोड जाता है |
23 टिप्पणियां:
मैं जब लडखडाता हूँ वो आके थाम लेती है |
अपने होने का मीठा एहसास छोड जाती है ...
Beautiful presentation .
.
बहुत बहुत शुक्रिया दोस्त :)
खूबसूरत अभिव्यक्ति
बहुत - बहुत शुक्रिया दी :)
वाह …………कोमल भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति।
मैं जब लडखडाता हूँ वो आके थाम लेती है |
अपने होने का मीठा एहसास छोड जाती है ..
खूबसूरत अभिव्यक्ति
बहुत - बहुत शुक्रिया वंदना जी :)
बहुत - बहुत शुक्रिया कुश्वंश जी :)
मैं फिर संभालता हूँ फिर आगे को बढता हूँ |
वो तो संग साया बनके मेरे साथ चलती है |बहुत ही सुन्दर....
बहुत - बहुत शुक्रिया sushma 'आहुति'जी :)
बहुत सुंदर रचना
बहुत - बहुत शुक्रिया mahendra srivastava जी :)
pyar ke sunder ehsas ki sunder abhivyakti......
shukriya roshi ji :)
सुन्दर , सशक्त , खूबसूरत प्रस्तुति .
सुन्दर , सशक्त , खूबसूरत प्रस्तुति .
सम्बन्ध का अद्भुत स्वरूप।
मैं जब पास जाता हूँ तो वो दामन छुडाती है |
मुझे दिन रात वो हर पल कुछ ऐसे सताती है |
kya kahen ab in adaaon par.....
chashni me doobi aapki kavita bahut badhiya hai
bhaut hi sundar bhaavo se saji rachna....
आदरनिया जी आपका शब्दों का चयन ला जवाब हें
आपके शब्दों का चयन उसको बंधने क अभिव्यक्ति और अंदाज वाकई तारीफे काबिल हें
मजा आगये आप्जेसे पवित्र विचारो वाली लेडी से मिल कर
भगवान आपको, आपकी लेखनी, और काबिलियत को हमेशा बरक़रार रखे
हमेशा आपकी तरक्की सही मूल्यों के साथ होती रहे
सदेव आपकी सद्भावनाओ के साथ समर्पित
नवीन सी दुबे
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने
badhiya....man ke komal bhaavon ko utaar diyaa hai kaagaz pe
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