जिंदगी




जिंदगी से शिकायत जो न कर पायेंगें ,
जिंदगी की इबादत न वो में मर जायेंगें |

साथ लेकर सफर में न कुछ आये थे ,
साथ लेकर सफर से न क्या जायेंगें |

पलपल जिनका जीना हुआ है मुहाल ,
वो खुद को जहां में फना कर जायेंगें |

जो डरते हैं आँखों में अश्क लाने से ,
मुस्कुराना भला कैसे सीख जायेंगें |

रात काली देख घर से निकलते नहीं ,
चाँद की चांदनी वो क्या चुरा जायेंगें |

खुलकर बयाँ न कर पाए दिल ए हकीकत ,
वो लफ़्ज़ों की कारीगरी क्या समझ जायेंगें |

7 टिप्‍पणियां:

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन रचना...
बहुत सुन्दर...
:-)

babanpandey ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति ..मेरे भी ब्लॉग पर आयें

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत बढ़िया रचना !
नई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )

विभूति" ने कहा…

प्रभावित करती रचना....

Manjusha negi ने कहा…

बेहद सुन्दर सार्थक रचना...

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुंदर.
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प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

यही सच है, सुन्दर रचना।