चली चली देखो चली चली
इतिहास के पनों मै अपना नाम ................
दर्ज करने 2010 चली !
सुख - दुख का पिटारा
हमको देकर ............
वो देखो...वो अपने देश चली !
कहाँ हम भूलेंगे अब उसको
हमने ही तो जोड़ा था उसको
जेसे पतंग संग डोर बंधी ,
चली - चली , चली - चली
देखो वो तो हमसे कितनी दूर चली !
कितना समर्पण उसमे देखो
अपना सब कुच्छ हमको सोंप
वो ख़ाली हाथ ही पार गई
चली चली , चली चली
बिटिया बन वो तो ससुराल चली !
न घमंड न कोई बेर
बस इंसा की ये हाथों की मेल
सबको सब कुच्छ दे ही दिया
फिर से दामन अपना समेट
इस दुनियां से नाता तोड़ चली
चली चली , चली चली
2011 को अपना काम सोंप चली !
कानों मै चुप से स्वागत ही कहा
फिर अपना दामन धीरे से छुडा ............
2011 के शोर मै खो सी गई !
देखो तो वो सच मै चली चली !
आओ हम भी कुच्छ ...........
एसा करे 2010 को प्यार से
अलविदा कहें !
नव वर्ष के स्वागत मै लगें !
बधाई दोस्तों !
आओ हम भी कुच्छ ...........
एसा करे 2010 को प्यार से
अलविदा कहें !
नव वर्ष के स्वागत मै लगें !
बधाई दोस्तों !
3 टिप्पणियां:
देखो वो तो हमसे कितनी दूर चली !
कितना समर्पण उसमे देखो
अपना सब कुच्छ हमको सोंप
वो ख़ाली हाथ ही पार गई
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
बहुत प्रभावी पंक्तियाँ ...शुक्रिया
आदरणीय मीनाक्षी पन्त जी
आपको नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ...स्वीकार करें
आदरणीय मीनाक्षी पन्त जी
आपको नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ...स्वीकार करें
एक टिप्पणी भेजें