दर्द


क्या छुपा है इन बेबाक आँखों मै ,
क्या किसी के आने का इंतजार !
केसे निहारती हैं ये एक टक हमे , 
की शायद  कोई तो एसा आएगा !
जो मुझे इस गर्द से निकाल पायेगा !
क्या इन आँखों का इस कदर......... 
ये इंतजार कभी खत्म हो पायेगा !
जो इस के दर्द को समझ पाए 
वो मसीहा भी कभी आएगा !
उसे इस गुमनाम अंधेरो से ले जाकर 
उन सितारों मै फिर बसाएगा !
बहुत से सपने बसे हैं इन नन्ही आँखों मै 
न जाने किसकी किस्मत मै
ये सितारा फिर से जगमगाएगा !