क्या छुपा है इन बेबाक आँखों मै ,
क्या किसी के आने का इंतजार !
केसे निहारती हैं ये एक टक हमे ,
की शायद कोई तो एसा आएगा !
जो मुझे इस गर्द से निकाल पायेगा !
क्या इन आँखों का इस कदर.........
ये इंतजार कभी खत्म हो पायेगा !
जो इस के दर्द को समझ पाए
वो मसीहा भी कभी आएगा !
उसे इस गुमनाम अंधेरो से ले जाकर
उन सितारों मै फिर बसाएगा !
बहुत से सपने बसे हैं इन नन्ही आँखों मै
न जाने किसकी किस्मत मै
ये सितारा फिर से जगमगाएगा !
1 टिप्पणी:
dard ki umda prastuti
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