लिखती तो हर - दम हु ,
क्युकी विचार नहीं रुकते !
फिर भी खालीपन सा ही
हरदम न जाने क्यु रहता है !
क्या प्यार ............?
नहीं ...प्यार तो सब करते हैं मुझे !
क्या फिर पैसा .......?
अरे नहीं सब कुच्छ तो है न मेरे पास !
फिर क्या है वो ........?
जो हरदम मुझे झकझोरती रहती है !
जो हर दम मुझे..........
अपने पास बुलाती रहती है !
जो वास्तव मे मै चाहती भी हु !
लेकिन लेखनी भी उसकी पूर्ति नहीं कर पाती !
शायद ये उन गरीबो का दर्द तो नहीं ?
जिसको सोचने भर से दिल दहल उठता है !
किसी की गरीबी......... हमारी ......
वाह वाह लुटने का एक जरिया भर तो नहीं ?
हमारी ये कलम काश उनके ...............
किसी एक के दर्द को कम कर पाती !
तो हमे इस अत्याचार का ....
भागीदार तो न बनाती !
1 टिप्पणी:
हमारी ये कलम काश उनके ...............
किसी एक के दर्द को कम कर पाती !
bahut sundar
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