कर भला हो भला


क्यु  मरने - मराने की बात करते हो |
क्यु बदलने - बदलाने की बात कहते हो |
ये तो जिंदगी का पहिंयां  है |
हर पल यूँ ही चलता जायेगा |
किसी के इशारे पर ऊपर ,
तो किसी के इशारे पे नीचे  आएगा |
ये बेकार की ही तो इक बहस है |
न किसी पर इसका ही  फिर असर है |
हर कोई अपनी रफ़्तार से है चलता |
किसी को किसी की क्या फिकर है |
जानती सब है फिर भी जिद्द पे तू अड़ी है |
न बदली है तू , न बदलेगी ये दुनिया |
ये बहस  ताउम्र एसे ही चलती  रहेगी   |
लोगों का हुनर उनसे कुछ न कुछ तो करवाएगा |
कुछ का असर अच्छा तो कुछ का बुरा कहलायेगा |
इसका असर तो पूरी दुनियां मै नज़र आएगा |
इतिहास के पन्नों मै फिर ये  लिखा जायेगा |
लोगों  की जुबाँ पर फिर उसका नाम आएगा |
तभी तो संसार मै वो उसकी पहचान करवाएगा | 

10 टिप्‍पणियां:

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

kya kahne hain...:)
jindagi ke khusboo se parichay karwati rachna...!

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

zindgi ko nayi urja deti kavita...

Rahul Singh ने कहा…

उम्‍मीदों का पौधा पनपने को.

Jyoti ने कहा…

good evening

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत प्‍यारी बात कही।

काश, सभी को समझ में आती।

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अंतरिक्ष में वैलेंटाइन डे।
अंधविश्‍वास:महिलाएं बदनाम क्‍यों हैं?

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

bahut badiya

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच में जीना प्रारम्भ किया जाये।

OM KASHYAP ने कहा…

bahut pyari kavita

vijaymaudgill ने कहा…

umar beet rahi hai larhte huye. jane kab jeene ki shuruat hogi.

मनोज कुमार ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति।