एक मूक पहेली का नाम है प्यार |
एक खामोश सफ़र भी तो है प्यार |
मीठे से दर्द का नाम है प्यार |
दिल की मीठी कसक भी तो है प्यार |
प्यार करना आसन है |
पर प्यार निभाना इतना भी आसान नहीं |
न जाने कितनी दूरियां तय कर लेती है प्यार |
सिर्फ एहसास में ही तो जिन्दा रहता है प्यार |
कभी किसी बंधन में कब बंधा है प्यार |
हर दम ख्यालों में पलता है प्यार |
जितना बांधों उतना ही दूर हो जाता है प्यार |
मस्त गगन में ही तो हरदम रहता है प्यार |
न ही ये तेरा और न ही मेरा है ये प्यार |
जिसने प्यार दिया बस उसकी का ही तो
हो जाता है ये प्यार |
प्यार किसी के बांधे से कब बंधा है |
ये कब , कहाँ , कैसे किसी के पास ठहरा है |
क्यु झूठी तसल्ली देते हैं सब एक -दुसरे को ?
क्युकी जानते तो सब ही हैं की क्या होता है प्यार |
एक मीठे से एहसास का नाम ही तो है न प्यार |
फिर क्यु एक दुसरे को गुमराह करते हो यार ?
5 टिप्पणियां:
aadrarniy minakshi ji,
prem ko achchhe se pabhashit kiya aapne, har baar ki tarah bahut hi umda lekh,
humen bahut achchha lagta hai, jab koi achchhi rachna padte hain,
bahut bahut dhnyvaad
बेहतरीन रचना।
एक शेर याद आ गया आपकी रचना को पढकर,
' रह जाती है अधूरी कोई बात हर बार,
शायद इसी को कहते हैं प्यार, पहला प्यार।'
बधाई आपको।
महिला दिवस की शुभकामनाएं।
सर्वप्रथम महिला - दिवस पर आपको शत - शत नमन
एक लक्षण राह का गुम होना भी बताया जाता है.
प्यार की विस्तृत परिभाषा।
एक टिप्पणी भेजें