हमसे रूबरू होके बोली |
कौन हो तुम और
किसके लिए हो ?
साँस लेते रहना सिर्फ ...
आदत ही तो नहीं है ?
किसके हो और
किसके खातिर बने हो ?
अब हम जिन्दगी को
इसका क्या जवाब देते ?
हमें तो लगा था हम
जुड़वाँ हैं बहनें |
हमारा जन्म - मरण
हमारी मर्जी तो नहीं है |
हम तो बस ...कुछ पल को
खुद को है समेटे |
क्या देना है क्या है लेना
उफ़ .... कितने सवाल थे ये ?
तब जाके फिर ...
जिन्दगी के पन्नों से हम गुजरे |
बचपन के दृश्य में जाके
कुछ पल को ठहरे |
दस , बारह बच्चों की थी वो टोली ,
हार- जीत के क्षण में आके थी ठहरी |
चीटिंग - चीटिंग के शोर से था
सारे आलम में सन्नाटा |
यहाँ अमीरी गरीबी से ... ये कह रही थी |
जीत भी केवल , अमीरों के हक में हो जैसे |
उसी का इंसाफ करके , तब हम आगे बड़े थे |
दर्द था पुराना , पर कसक आज तक थी |
जिंदगी का सही अर्थ तो जाना उसी पल था |
जिंदगी में सबको जीने का बराबर का हक है |
की जीवन का सही अर्थ तो छुपा इसी में था |
15 टिप्पणियां:
थैक्यू दोस्त .. आप की कविता बहुत अच्छी है
सुन्दर गहन अर्थों का सम्प्रेषण करती है आपकी यह अनुपम प्रस्तुति.
बहुत बहुत आभार मीनाक्षी जी.
उसी का इंसाफ करके , तब हम आगे बड़े थे |
दर्द था पुराना , पर कसक आज तक थी |
जिंदगी का सही अर्थ तो जाना उसी पल था |
जिंदगी में सबको जीने का बराबर का हक है |
की जीवन का सही अर्थ तो छुपा इसी में था |
ज़िंदगी से रु-ब-रु हुयीं आप ... यही बहुत बड़ी बात है ...जीवन का मकसद पाना उससे बड़ी बात है ... बहुत अच्छी रचना
धन्यवाद बहुत सार्थक पोस्ट ......यूँ ही जीवन के पहलुओ पर लिखते रहें
मीनाक्षी जी,
बहुत सार्थक पोस्ट ,अनुपम प्रस्तुति
बहुत बहुत आभार
सबको संसाधनों में समुचित अधिकार मिले। सुन्दर प्रस्तुति।
bhut hi acchi rachna...
बहुत ही सरल-सहज ढंग से ह्रदय के गहनतम भावों की अभिव्यक्ति....
ज़िन्दगी के अर्थ समझाती एक सुन्दर रचना।
साँस लेते रहना सिर्फ ... आदत ही तो नहीं है ? very meaningful..
जियो और जीने दो क्योंकि जीने का हक सबको बराबर का है ...
सार्थक रचना !
बहुत सार्थक पोस्ट ,अनुपम प्रस्तुति|धन्यवाद|
bahut khoob..
कौन हो तुम और
किसके लिए हो ?
साँस लेते रहना सिर्फ ...
आदत ही तो नहीं है ?
गहनतम भावों की अभिव्यक्ति....!!
खूबसूरत रचना!!!
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