हाय गरीबी



बिन पानी मछली , तडपती है जैसे  |
भूख से तडपती है वैसे , रूहे गरीबी  |
इंसा की ,  इंसानियत को परखकर  ,
डूबती नाव की आस , लगाती है गरीबी  |
सागर में ज्वार जैसे , हिलोरे है लेता |
वैसे पेट में आग , लगाती है गरीबी |
जुबाँ तो हरदम उसके , साथ है रहती |
पर जुबाँ से कुछ न , कह पाती गरीबी  |
पेट की आग जब , तन - मन को जलाती |
बस आसुओं का सैलाब , बहाती है गरीबी |
बंजर धरा को देख , आसमां जब है बरसता |
तब एक सुकून दिल में , ले आती गरीबी |
सागर में बढती नैया को , देख - देखकर ,
खुद में एक विश्वास , जगाती है गरीबी |
सारे प्रयासों को , विफल होता देखकर ,
उसे ही किस्मत ... कह  देती गरीबी |
जिंदगी में अपना नाम , दर्ज करवाकर ,
अपने सफर का अंत , कर देती गरीबी |

19 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

संवेदनशील रचना ...

Amrita Tanmay ने कहा…

इसलिए तो गरीबी को अभिशाप कहा जाता है

कुमार संतोष ने कहा…

Sunder rachna aaj ke daur par bilkul sateek baithti.

Aabhaar . . . !!

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

च्‌ च्‌ च्‌

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

गरीबी सबसे बड़ा शाप है, इससे निकालना ही होगा सबको।

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

गरीबी जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है, उसके लिए मर्मस्पर्शी रचना कर उसके दर्द को उकेरा है. बहुत सुंदर रचना.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

गरीबी का बहुत ही मार्मिक चित्र।

सादर

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 09/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Neeraj Kumar ने कहा…

आपकी कविता मे कठोर सच है और मार्मिकता है और आपके मन की करुणा का आभास भी दिख रहा है...
जिंदगी में अपना नाम , दर्ज करवाकर ,
अपने सफर का अंत , कर देती गरीबी |

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

ek ek shabd sacchayi bayaan kar raha hai.

sateek abhivyakti.

Rakesh Kumar ने कहा…

भावपूर्ण कचोटती हुई प्रस्तुति.

मीनाक्षी जी आप मेरे ब्लॉग की नियमित पाठक है.

आपके आने का मैं इंतजार करता रहता हूँ जी.

Pallavi saxena ने कहा…

गरीबी के सत्य को दर्शाती बहुत ही मार्मिक एवं संवेदनशील रचना ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/

Roshi ने कहा…

गरीबी बहुत बार अभिशाप है ............सुंदर रचना

Prakash Jain ने कहा…

Marmik prastuti...

www.poeticprakash.com

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

haaye gareebi

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच कहा है गरीबी एक अभिशाप बन के रह गई है समाज में आज ...

सदा ने कहा…

हकीकत बयां करती प्रस्‍तुति ।

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

sateek abhivyakti.