सावन की फुहार


सावन की मन भावन की 
नाचत -  गावत आई बहार !
क्यारी - क्यारी फूलों सी महकी
चिड़ियाँ नाचे दे - दे ताल 
नाचत -  गावत आई बहार !
भंवरों की गुंजन भी लागे 
जेसे गाए गीत मल्लहार 
रंग - बिरंगी तितली देखो
पंख फेलाली बारम्बार 
नाचत - गावत आई बहार !
मोर - मोरनी  भी एसे  नाचे  
जेसे हो प्रणय को तैयार 
थिरक - थिरक अब हर कोई देता 
अपने होने का  आगाज़
नाचत गावत आई बहार !
हर कोई अपने घर से निकला
करने अपना साज़ - श्रृंगार 
सबका मन पंछी बन डोला 
मस्त गगन मै फिर एक बार 
नाचत -  गावत आई बहार !
चिड़िया असमान मै नाचे 
तितली गाए गीत मल्हार 
मै तो इक टक एसे देखूं 
जेसे मैं हूँ   कोई चित्रकार 

10 टिप्‍पणियां:

Rahul Singh ने कहा…

बसंत बहार पर सावन की फुहार.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बसंत की सुख फुहार, शुभकामनायें।

केवल राम ने कहा…

जिस तरह बसंत की फुहार आई है उसी तरह हम सब की जिन्दगी में भी खुशियों की फुहार ..बहार बन कर आये ...बहुत सुंदर

निर्मला कपिला ने कहा…

बसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

wah re chitrakaar...:)

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

मीनाक्षी जी, इस शमा को जलाए रखें।

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समाधि द्वारा सिद्ध ज्ञान।
प्रकृति की सूक्ष्‍म हलचलों के विशेषज्ञ पशु-पक्षी।

SomeOne ने कहा…

काफी अच्छी लगी पढने में और ऐसा लगा
बच्चो के तरह मासूमियत से रची गयी हो,माँ सरस्वती वाली पोस्ट भी काफी अच्छी लगी

संजय भास्‍कर ने कहा…

मीनाक्षी जी,
नमस्कार !
वसन्त की आप को हार्दिक शुभकामनायें !

विशाल ने कहा…

बहुत ही बढ़िया.
ढेरों बसंती सलाम

Minakshi Pant ने कहा…

मैं आप सबकी शुक्रगुजार हूँ दोस्तों ये आपकी मेहरबानी है की आप मेरे लेख पढ़ते है और इसकी सराहना करते हो
इससे मुझे और बेहतर लिखने की ताक़त मिलती है शुक्रिया दोस्तों !