मत रो आरुषि



वेसे ये नई बात नहीं ये तो रोज़ का ही  नज़ारा हैं !
हर किसी अख़बार के  इक  नए  पन्ने मैं ...
आरुशी जेसी मासूम का कोई न कोई हत्यारा है !
पर लगता है आरुशी के साथ मिलकर सभी मासूमों ने
एक बार फिर से इंसाफ को पुकारा है !
क्या छुपा है इन अपलक निहारती आँखों मैं ,
ये कीससे गुहार लगाती है ?
खुद का इंसाफ ये चाहती है ?
या माँ - बाप को बचाना चाहती है ?
उसने तो दुनिया देखि भी नहीं ,
फिर कीससे आस  लगाती है !
जीते जी उसकी किसी ने न सुनी ,
मरकर अब वो किसको अपना बतलाती है !
गुडिया ये रंग बदलती दुनिया है !
इसमें कोई न अपना है !
तू क्यु इक बार मर कर भी ...
एसे मर - मर के जीती है !
यहाँ एहसास के नाम पर कुछ भी नहीं ,
मतलब की दुनिया बस बसती है !
न कोई अपना न ही पराया है
लगता है हाड - मांस की ही बस ये काया है  !
जिसमें  प्यार शब्द का एहसास नहीं !
किसी के सवाल  का कोई  जवाब नहीं !
तू अब भी परेशान सी रहती होगी  ?
लगता है  इंसाफ के लिए रूह तडपती होगी !
अरे तेरी दुनिया इससे सुन्दर होगी ?
मत रो तू एसे अपनों को !
तेरी गुहार हर मुमकिन पूरी होगी !
तेरे साथ सारा ये जमाना है !
कोई सुने न सुने सारी दुनिया की ...जुबान मै
 सिर्फ और सिर्फ तेरा ही फसाना है !

9 टिप्‍पणियां:

Rahul Singh ने कहा…

हार्दिक श्रद्धांजलि.

केवल राम ने कहा…

बहुत भाव पूर्ण है यह कविता ..यह सच है कि कई आरुषियाँ जन्म से पहले मार दी जाती हैं और कई जन्म के बाद और जो बच जाती हैं समाज उन्हें भी सही ढंग से नहीं जीने देता .....

Udan Tashtari ने कहा…

भावपूर्ण!!

किसी के सवाल का कोई जवाब नहीं..

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

bhut achha......

samwedansheel rachna.........

Sushil Bakliwal ने कहा…

सिर्फ मौन और श्रद्दांजलि...

Dr Varsha Singh ने कहा…

कोई सुने न सुने सारी दुनिया की ...जुबान मै
सिर्फ और सिर्फ तेरा ही फसाना है !......

आरुशी को इंसाफ न मिलना .....Really very sad.

OM KASHYAP ने कहा…

bhavpuran rachna

babanpandey ने कहा…

बहुत सी आरुशी सिसक रही है ..फोटो में

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

भावपूर्ण अभिव्यक्ति।